Wednesday, May 8, 2013

मुक्तक : 199 - हादसा ऐसा ये


हादसा ऐसा ये मेरे साथ कैसे घट गया ?
जिसको सोचा था न सोचूँ मुझको वो ही रट गया !
जिससे चिढ़ थी दुश्मने जाँ दिल जिसे कहता रहा ,
उससे ही मैं आज जाकर छटपटाकर सट गया !
-डॉ. हीरालाल प्रजापति


4 comments:

Rajendra kumar said...

बहुत ही सुन्दर....आभार.

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! Rajendra Kumar जी !

shishir kumar said...

Avibyakti ke liye Dhanyabad

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! shishir kumar जी !

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...