कह के आने की गया आता नहीं ॥
उसके बिन कोई मज़ा आता
नहीं ॥
अपनी सच्चाई छिपा कर सब
मिलें ,
उससा कोई भी खुला आता
नहीं ॥
यों हमारे साथ वो हर वक़्त
है ,
देखने में जो ख़ुदा आता
नहीं ॥
कोई मजबूरी है यों खुद्दार
तो ,
छोड़ कर शर्मो हया आता
नहीं ॥
क्या हुई तुझसे ख़ता जल्दी
बता ,
तू कभी सर को झुका आता
नहीं ॥
हर मुसीबत के लिए तैयार
रह ,
कह के कोई ज़लज़ला आता नहीं
॥
मंदिर औ' मस्जिद
जहाँ पग-पग पे हों ,
भूलकर वाँ मैकदा आता
नहीं ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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