Wednesday, May 22, 2013

मुक्तक : 225 - उजड़े हुए चमन


उजड़े हुए चमन की तरह आजकल हूँ मैं ॥
सस्ते घिसे कफ़न की तरह आजकल हूँ मैं ॥
हालत पे अपनी ख़ुद ही मैं भी शर्मसार हूँ ,
इक कुचले नाग फन की तरह आजकल हूँ मैं ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...