Tuesday, May 28, 2013

मुक्तक : 233 - हुस्न में वो


हुस्न में वो पुरग़ज़ब इंसान था ॥
उसका रब जैसा ही कुछ उनवान था ॥
शक्लोसूरत से था मीठी झील पर ,
फ़ित्रतोसीरत से रेगिस्तान था ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...