Wednesday, May 1, 2013

मुक्तक : 189 - इतना कम क़ीमत



इतना कम क़ीमत हुआ है मेरे भइया ॥
ये करारा ख़ूबसूरत इक रुपइया ॥
एक दर्जन भर रुपये से कम कहीं भी ,
दो न जब तक फ़ुल नहीं मिलती है चइया ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...