Sunday, May 12, 2013

मुक्तक : 205 - इक शेर कहे



इक शेर कहे , इक मगरमच्छ , इक भेड़ कहे ॥
इक एक कहे , इक ढाई कहे , इक डेढ़ कहे ॥
कुछ और नहीं , सच इसके सिवा , है इश्क़ ख़ुदा ,
हम तुम बोलें , पशु-पक्षी कहें , चुप पेड़ कहे ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

2 comments:

Anonymous said...

वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह........... बहुत खुब......

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

बहुत बहुत धन्यवाद ! mohit punpher जी !

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...