Tuesday, May 21, 2013

मुक्तक : 224 - अथक परिश्रम


अथक परिश्रम पर कुछ , कुछ निष्ठा-आधृत पायीं ॥
कुछ इक बातें संयोग मात्र कुछ भाग्याश्रित पायीं ॥
कभी स्वयं बिल्ली के भागों छींके टूट गिरे ,
कभी कठिनता से इक मूष न कर अर्जित पायीं ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...