Friday, May 24, 2013

मुक्तक : 229 - दुपट्टे बिन न


दुपट्टे बिन न आगे ब्रह्मचारी के तू आया कर ॥
विधुर के सामने यौवन को मत खुलकर दिखाया कर ॥
तू निःसन्देह सुंदर है , है आकर्षक बड़ी पर स्थिर-
सरोवर में न यों बारूद के गोले गिराया कर ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...