Monday, May 27, 2013

मुक्तक : 232 - आज कच्चे ही


आज कच्चे ही सभी पकने लगे हैं ॥
इसलिए जल्दी ही सब थकने लगे हैं ॥
अपने छोटे छोटे कामों को भी छोटे-
छोटे भी नौकर बड़े रखने लगे हैं ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...