Sunday, May 12, 2013

मुक्तक : 209 - बेमज़ा सब


बेमज़ा सब इश्क़बाजी हो गई ॥
वो जो झटपट मुझसे राजी हो गई ॥
तैरना था मुझको पर तूफाँ से वो ,
कश्ती , साहिल और माझी हो गई ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...