Saturday, May 18, 2013

मुक्तक : 219 - हारा नहीं हूँ



हारा नहीं हूँ चलते चलते थोड़ा रुक गया ॥
सुस्ता रहा हूँ मत समझना ये कि चुक गया ॥
हैं बेक़रार मुझको तोड़ने जब आँधियाँ ,
मैं भी सलामती को अपनी थोड़ा झुक गया ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...