Friday, May 17, 2013

चित्र-मुक्तक : 218 - वो यक़ीनन नहीं



वो यक़ीनन नहीं दुश्मन वो यार होता है ॥
ऐसे चढ़कर के जो गर्दन सवार होता है ॥
आजकल इतनी बेतकल्लुफ़ी कहाँ दिखती ,
दोस्तों में न अबके इतना प्यार होता है ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...