हादसा ऐसा ये मेरे साथ
कैसे घट गया ?
जिसको सोचा था न सोचूँ मुझको वो ही रट गया !
जिससे चिढ़ थी दुश्मने जाँ दिल जिसे कहता रहा ,
उससे ही मैं आज जाकर छटपटाकर सट गया !
जिससे चिढ़ थी दुश्मने जाँ दिल जिसे कहता रहा ,
उससे ही मैं आज जाकर छटपटाकर सट गया !
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
4 comments:
बहुत ही सुन्दर....आभार.
धन्यवाद ! Rajendra Kumar जी !
Avibyakti ke liye Dhanyabad
धन्यवाद ! shishir kumar जी !
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