Saturday, June 1, 2013

मुक्तक : 237 - इससे बढ़कर के


इससे बढ़कर के क्या तक़्दीर का मज़ाक होगा ?
आग से बचके वो पानी से जल के राख होगा ॥
उसको भरते रहे पानी से लबालब हर दिन ,
क्या पता था कि वो अंदर शकर या खाक होगा ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...