Sunday, June 30, 2013

मुक्तक : 255 - तलाशे वफ़ा में


तलाशे वफ़ा में जो हम घर से निकले ॥
हवेली महल झोपड़ी देखे किल्ले ॥
वफ़ा आश्नाई में इंसाँ से ज़्यादा ,
लगे आगे सच सारे कुत्तों के पिल्ले ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...