तलाशे वफ़ा में जो हम घर
से निकले ॥
हवेली महल झोपड़ी देखे
किल्ले ॥
वफ़ा आश्नाई में इंसाँ
से ज़्यादा ,
लगे आगे सच सारे कुत्तों
के पिल्ले ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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