Thursday, June 6, 2013

मुक्तक : 246 - विष्णु न होकर



विष्णु न होकर लक्ष्मी की अभिलाषा अनुचित है ।  
राम हो तो सीता का मिलना यत्र सुनिश्चित है –
तत्र सभी अंधे बटेर मन में पाले रखते ,
शूर्पनखाओं को केवल लक्ष्मण ही इच्छित है !
 -डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...