Saturday, June 22, 2013

मुक्तक : 254 - उसमें भरपूर


उसमें भरपूर जवानी में भी ग़ज़ब बचपन ॥
बाद शादी के भी पैवस्त धुर कुँँवारापन ॥
उसकी चख़चख़ ग़ज़ल है चीख़ कुहुक कोयल की ,
बाद सालों के भी लगती है हाल की दुल्हन ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...