Sunday, June 30, 2013

मुक्तक : 257 - अतिशय विनम्र था


अतिशय विनम्र था तनिक अशिष्ट हो गया ॥
पाकर के उनका प्रेम रंच धृष्ट हो गया ॥
मित्रों में मेरी पूछ-परख पहले नहीं थी ,
अब शत्रुओं में भी मैं अति-विशिष्ट हो गया ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

No comments:

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...