Wednesday, June 5, 2013

मुक्तक : 245 - चीख चिल्लाहट है


चीख चिल्लाहट है कर्कश कान फोड़ू शोर है ॥
इस नगर में एक भागम भाग चारों ओर है ॥
सुख की सारी वस्तुएँ घर घर सहज उपलब्ध हैं ,
किन्तु जिसको देखिये चिंता में रत घनघोर है ॥
डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...