Sunday, June 2, 2013

मुक्तक : 239 - पेड़ पे लटका


पेड़ पे लटका आम लगता टपका-टपका सा ॥
आँख फाड़े हुए मैं जागूँ झपका-झपका सा ॥
हर्ष-उत्साह से अनभिज्ञ निरंतर निश्चित ,
मृत्यु की ओर बढ़ रहा हूँ लपका-लपका सा ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...