Sunday, December 1, 2013

मुक्तक : 392 - ज़रूर पहले मैं उसका


ज़रूर पहले मैं उसका बड़ा गुमाश्ता रहा ।।
यक़ीन मान अब उससे न कोई वास्ता रहा ।।
कभी चला हूँ उसके पीछे अंधा बन मैं मगर ,
नहीं रहा वो मेरा अब जो उसका रास्ता रहा ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...