Saturday, December 21, 2013

मुक्तक : 409 - जब मुझको ज़रूरत थी


जब मुझको ज़रूरत थी तेरी दैया रे दैया  !
उस वक़्त तो कुछ और ही था तेरा रवैया ॥
अब चाहिए तुझको मेरी इमदादो-मदद तो ,
तू हो रहा है शेर से इक पालतू गैया ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...