Wednesday, December 25, 2013

मुक्तक : तुम मुझे चाहे मत कभी मिलना



तुम मुझे चाहे मत कभी मिलना ,
पर मुझे चाहना न तजना तुम ।।
तुम मेरा नाम कोई सूरत हो ,
भूलना मत भले न भजना तुम ।। 
सादगी के तुम्हारी कुछ आगे ,
हुस्न वाले कहीं न ठहरें सच ;
गर सँवरना हो तो मेरी ख़ातिर ,
ग़ैर के वास्ते न सजना तुम ।। 
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

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