Saturday, December 21, 2013

मुक्तक : 412 - न शर्म से न हमने


ना शर्म से न हमने कभी बेझिझक लिया ॥
कल भी नहीं लिया था और न आज तक लिया ॥
पुचकारने वाले से सीखने की चाह में ,
खाकर हज़ार ठोकरें न इक सबक़ लिया ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...