Saturday, December 21, 2013

मुक्तक : 410 - जो कुछ हुआ है तुझको



जो कुछ हुआ है तुझको सब किस तरह बताऊँ ?
मैं अपने हारने की तुझे क्या वजह बताऊँ ?
जब गुल सहेजने का भी माद्दा रहा ना ,
फ़िर ख़ार को कहाँ की रखने जगह बताऊँ ?
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...