जब तक न पास में था काम-धाम रोज़गार ।।
बैठे थे धर के हाथ
पे हम हाथ थे बेकार ।।
सच कह रहे हो तुम क़सम
ख़ुदा की बेपनाह ,
करते थे सुबह-शाम-रात-दिन
हम उनसे प्यार ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...
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