Friday, December 20, 2013

मुक्तक : 408 - उनसे फ़िर क्यों


उनसे फ़िर क्यों गुफ़्तगू होने लगी ?
हर कहीं और हर कभू होने लगी ॥
फ़िर से दिल खिंचने लगा उनकी तरफ़ ,
दुनिया फ़िर मेरी अदू होने लगी ॥ 
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...