Monday, December 23, 2013

मुक्तक : 416 - बिन कुछ किए धरे


बिन कुछ किए धरे वो होते जाएँ क़ामयाब ।।
हम लाख उठा-पटक करें न कुछ हो दस्तयाब ।।
दिल भी जलाएँ हम तो दूर हो न अंधकार ,
वो जुल्फ़ ही सँवार दें तो ऊगें आफ़्ताब ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...