Tuesday, December 10, 2013

मुक्तक : 399 - ये मनुष्य की करनी है


( चित्र Google Search से साभार )
ये मनुष्य की करनी या क़िस्मत का लेखा है ?
जो भी हो पर हमने ऐसा घटते पेखा है ।।
वो जो ग़ुस्ल किया करते थे मिनरल-वाटर से ,
वक़्त पे उनको मूत्र गधे का पीते देखा है ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

2 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

सुन्दर प्रस्तुति।
आज 11-12-13 का सुखद संयोंग है।
सुप्रभात...।
आपका बुधवार मंगलकारी हो।

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

आपका भी ! मयंक जी !

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...