Wednesday, December 25, 2013

मुक्तक : 420 - मूरत जो हुस्न की


मूरत जो हुस्न की कोई पहला बनाएगा ॥
वो हू ब हू बस आपका पुतला बनाएगा ॥
काढ़ेगा सताइश के क़सीदों पे क़सीदे ,
रंग रुपहला तो रूप सुनहला बनाएगा ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...