Tuesday, December 3, 2013

मुक्तक : 394 - ज़्यादा न सही मैंने माना


ज़्यादा न सही मैंने माना कम बहुत ही कम ।।
लेकिन है तुझको मुझसे जुदाई का कुछ तो ग़म ।।
बेशक़ तू मुस्कुरा ,तू खिलखिला ,तू नाच-गा ,
करती हैं चुगली तेरी ये आँखें उदास-ओ-नम ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...