Thursday, December 26, 2013

मुक्तक : 425 - चाहता हूँ कि मेरे


चाहता हूँ कि मेरे दिल में तेरी मूरत हो ।।
तू किया करती मेरी रात दिन इबादत हो ।।
लैला मजनूँ से हीर राँझे टोला मारू से ,
अपनी दुनिया-ए-इश्क़ में ज़ियादा शोहरत हो ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...