Thursday, December 19, 2013

मुक्तक : 405 - उसको कितना करूँ मैं


उसको कितना करूँ मैं याद बजा आता था ॥
ख़्वाब उसका हो कोई ख़ूब सजा आता था ॥
उसका मिलना तो मुझको ख़ैर ग़ैर मुमकिन था ,
उसको पाने की कोशिशों में मज़ा आता था ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...