Friday, December 20, 2013

मुक्तक : 407 - नींद का चोर


नींद का चोर आज रात ख़ुद नहीं सोया ॥
दर्द दे खिलखिलाने वाला सुबक कर रोया ॥
क्या हुआ ? क्यों हुआ ? ये बात तो वही जाने ,
बस सुकूँ ये कि लुटेरे का भी कुछ तो खोया ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...