Monday, December 30, 2013

मुक्तक : 431 - बचपन में ही इश्क़


बचपन में ही इश्क़ ने उसको यों जकड़ा ।।
है चौदह का मगर तीस से लगे बड़ा ।।
जिससे दोनों हाथ से लोटा तक न उठे ,
वो प्याले सा एक हाथ से उठाए घड़ा ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...