Wednesday, December 18, 2013

मुक्तक : 401 - होता है तभी खिड़कियों का


होता है तभी खिड़कियों का डुलना-खड़कना ;
फ़िर भी न चुप्पियों में ख़लल करने फड़कना ,
मजबूरियों में जबकि तुंद आँधियाँ  चलें –
बादल में बिजलियों का हो पुरशोर कड़कना ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...