Thursday, December 26, 2013

मुक्तक : 424 - चार कदम पर मंजिल हो तो



चार कदम पर मंजिल हो तो पहुँचें पैदल से ,
छोटी मोटी दूरी पार करें गर साइकल से ,
पर्यावरण रहेगा बेहतर सेहत चुस्त दुरुस्त ,
मिल जायेगी नजात किल्लते पेट्रोल डीजल से ॥ 
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...