Thursday, December 19, 2013

मुक्तक : 404 - तुम ही नहीं अकेले


तुम ही नहीं अकेले याँ तमाम रहे हैं ॥
कुछ नामी-गिरामी कई गुमनाम रहे हैं ॥
बेरोज़गार तुम हो , हो बेकार यहाँ तो ,
धुर क़ामयाब इश्क़ में नाकाम रहे हैं ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...