Saturday, December 7, 2013

मुक्तक : 396 - पूरा था , वो कब आधा था


पूरा था वो , कब आधा था ; था कब टूक जनाब ?
इंसाँँ को पहचानने में वो था तो अचूक जनाब !!
उससे भी हुई भूल जिसे समझा वो दूर से आज -
इक गिन्नी , लेकिन दरअस्ल वो शख़्स था थूक जनाब !!
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...