Tuesday, December 31, 2013

मुक्तक : 432 - रिश्ता हो कोई ठोंक



रिश्ता हो कोई ठोंक बजाकर बनाइये ।।

शादी तो लाख बार सोचकर रचाइये ।।

अंजाम कितने ही है निगाहों के सामने ,

झूठी क़शिश को इश्क़ो मोहब्बत न जानिये ।।

-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

1 comment:

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

आपको भी शुभकामनाएँ , मयंक जी !

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...