Saturday, December 28, 2013

मुक्तक : 427 - इतना अमीर था वो


इतना अमीर था वो ऐसा मालदार था ,
धन का कुबेर उसके आगे ख़ाकसार था !
ताउम्र फिर भी क्यों कमाई में लगा रहा ,
धेला भी जिसका ख़र्च बस कभी कभार था ?
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

2 comments:

Unknown said...

बेशक़, उसके भाग्य में केवल धन संग्रह करना था उसका उपभोग करना नहीं.

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

सही कहा ।धन्यवाद ।

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...