इतना अमीर था वो ऐसा
मालदार था ,
धन का कुबेर उसके आगे ख़ाकसार था !
ताउम्र फिर भी क्यों कमाई में लगा रहा ,
धेला भी जिसका ख़र्च बस कभी कभार था ?
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...
2 comments:
बेशक़, उसके भाग्य में केवल धन संग्रह करना था उसका उपभोग करना नहीं.
सही कहा ।धन्यवाद ।
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