Saturday, November 30, 2013

मुक्तक : 391 - यहाँ से कहीं और


यहाँ से कहीं और को जाइएगा ।।
मेरे आगे मत हाथ फैलाइएगा ।।
मेरा देना ज्यों ऊँट के मुँह में जीरा ,
मैं दरवेश ख़ुद मुझसे क्या पाइएगा ?
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

No comments:

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...