Monday, November 25, 2013

मुक्तक : 387 - पलक झपकते भिखारी


( चित्र Google Search से साभार )
पलक झपकते भिखारी नवाब हो जाये ॥
सराब जलता हुआ ठंडा आब हो जाये ॥
सुना तो ख़ूब न देखा ये करिश्मा-ए-ख़ुदा ,
कि चाहे वो तो ज़र्रा आफ़्ताब हो जाये ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...