Sunday, November 17, 2013

मुक्तक : 376 - यादों में तुम्हारी पड़-पड़ कर



यादों में तेरी नित पड़-पड़ कर जीवन का भुलक्कड़ बन बैठा ।।
सुख-शांति भरे सुंदर मुख पर ज्यों सुदृढ़ मुक्का हन बैठा ।।
मति मारी गई जो न होती मेरी तेरी नयन-झील में न डूबता मैं ,
सबसे जिसको था बचाए रखा तुझे कर वो समर्पित मन बैठा ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

4 comments:

Unknown said...

WAH ; SUNDAR

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! Priyanka Tripathi जी !

Unknown said...

अति सुन्दर

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! Lekhika 'Pari M Shlok' जी !

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...