Tuesday, November 5, 2013

मुक्तक : 364 - चाहे वो कितने ऊँचे ही


( चित्र Google Search से साभार )
चाहे वो कितने ऊँचे ही ब्राह्मण हों या हों आर्य ?
शिक्षक का सुनिश्चित है सबको विद्यादान कार्य ।।
यदि एकलव्य जैसे सभी ठानने लग जाएँ ,
हो जाएँगे औचित्यहीन सारे द्रोणाचार्य ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...