Sunday, November 24, 2013

मुक्तक : 385 - उसके इश्क़ से


उसके इश्क़ से बचना चाहे पर हो-हो जाये ।।
दिल उसके पुरलुत्फ़ ख़यालों में खो-खो जाये ।।
पहले ही कितने सर रो-रो बोझ उठाये है ?
तिस पर उसकी वज़्नी-यादें भी ढो-ढो जाये ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

1 comment:

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

बहुत बहुत धन्यवाद ! मयंक जी !

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...