Thursday, November 7, 2013

मुक्तक : 366 - बड़े अदब ब क़ाइदा


बड़े अदब ब क़ाइदा बहुत करीने से ।।
कभी दीवारो दर से टिक तो गाह ज़ीने से ।।
न आज उसे रहे पहचान भी जिसे कल तक ,
हज़ार बार लगाया था अपने सीने से ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...