Thursday, November 14, 2013

मुक्तक : 372 - तू रक़्स करे है कि


( चित्र Google Search से साभार )
तू रक़्स करे है कि छटपटाये नचैया ?
गाता है कि रोता है बता मुझको गवैया ?
दुनिया से अलग तेरी ज़िंदगी का किसलिए
है तौर-तरीक़ा अलग , अजब है रवैया ?
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

6 comments:

अजय कुमार झा said...

वाह ! अजब है रवैया ............बहुत ही उम्दा

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! अजय कुमार झा जी !

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! मयंक जी !

विभूति" said...

भावो का सुन्दर समायोजन......

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! sushma जी !

Unknown said...

बेहद ही उम्दा

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...