Tuesday, November 19, 2013

मुक्तक : 379 - कब तक भला–बुरा


कब तक भला-बुरा कहूँगा मैं शराब को ?
कब तक न आख़िरश छुऊँगा मैं शराब को ?
जिस दौरे-ग़म से मैं तड़प-तड़प गुज़र रहा ,
लगता है जल्द ही पिऊँगा मैं शराब को ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...