Sunday, November 17, 2013

मुक्तक : 377 - हादसों से , मुश्किलों से



हादसों से , मुश्किलों से हर मुसीबत से ।।
बच रहा हूँ बस दुआ से रब की रहमत से ।।
चलते हैं सब अपने अपने पाँव से लेकिन ,
मैं यक़ीनन उड़ रहा हूँ सिर्फ़ क़िस्मत से ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...